Pulakesh

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पर अकाजु लगि तनु परिहरहीं । जिमि हिम उपल कृषी दलि गरहीं ⁠।⁠। बंदउँ खल जस सेष सरोषा । सहस बदन बरनइ पर दोषा ⁠।⁠। जैसे ओले खेतीका नाश करके आप भी गल जाते हैं, वैसे ही वे दूसरोंका काम बिगाड़नेके लिये अपना शरीरतक छोड़ देते हैं। मैं दुष्टोंको [हजार मुखवाले] शेषजीके समान समझकर प्रणाम करता हूँ, जो पराये दोषोंका हजार मुखोंसे बड़े रोषके साथ वर्णन करते हैं
Ramcharitmanas Vyakhya Sahit Tika, Code 0081, Devnagri Hindi, Gita Press Gorakhpur (Official) (Hindi Edition)
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