मैं अपनी दिसि कीन्ह निहोरा । तिन्ह निज ओर न लाउब भोरा ।। बायस पलिअहिं अति अनुरागा । होहिं निरामिष कबहुँ कि कागा ।। मैंने अपनी ओरसे विनती की है, परन्तु वे अपनी ओरसे कभी नहीं चूकेंगे। कौओंको बड़े प्रेमसे पालिये; परन्तु वे क्या कभी मांसके त्यागी हो सकते हैं? ।

