Pulakesh

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मति कीरति गति भूति भलाई । जब जेहिं जतन जहाँ जेहिं पाई ⁠।⁠। सो जानब सतसंग प्रभाऊ । लोकहुँ बेद न आन उपाऊ ⁠।⁠। उनमेंसे जिसने जिस समय जहाँ कहीं भी जिस किसी यत्नसे बुद्धि, कीर्ति, सद्‌गति, विभूति (ऐश्वर्य) और भलाई पायी है, सो सब सत्संगका ही प्रभाव समझना चाहिये। वेदोंमें और लोकमें इनकी प्राप्तिका दूसरा कोई उपाय नहीं है ⁠।⁠
Ramcharitmanas Vyakhya Sahit Tika, Code 0081, Devnagri Hindi, Gita Press Gorakhpur (Official) (Hindi Edition)
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