सारद सेस महेस बिधि आगम निगम पुरान । नेति नेति कहि जासु गुन करहिं निरंतर गान ।।१२।। सरस्वतीजी, शेषजी, शिवजी, ब्रह्माजी, शास्त्र, वेद और पुराण—ये सब ‘नेति-नेति’ कहकर (पार नहीं पाकर ‘ऐसा नहीं’, ‘ऐसा नहीं’ कहते हुए) सदा जिनका गुणगान किया करते हैं ।।१२।।

