Abuzar Hamza

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कहने को तो सियासत ने एक लकीर खींची, मगर वह लकीर आग और ख़ून का एक दरिया बन गई और हजारों-हजार लोग अपनी जड़ों समेत बह गए उस दरिया में…और मैं यहाँ अकेला खड़ा देखता रहा और सुनता रहा…
नीम का पेड़
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