Aditya Shukla

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नौकरी ! यह शब्द हमारी आत्मा के माथे पर ख़ून से लिखा हुआ है । यह शब्द ख़ून बनकर हमारी रगों में दौड़ रहा है । यह शब्द ख़्वाब बनकर हमारी नींद की हतक कर रहा है । हमारी आत्मा नौकरी के खूँटे से बँधी हुई लिपि की नाँद में चारा खा रही है ।
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टोपी शुक्ला
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