Aditya Shukla

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यह टुच्चा युग है । छोटे लोग जन्म ले रहे हैं । सौन्दर्य पर रंग-रंग की कीचड़ है । न तो वीरों की गाथा का समय है और न श्रृंगार रस बाँटने का । कोई युग कलयुग नहीं होता ।
टोपी शुक्ला
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