Utkarsh Garg

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टोपी और दादी में एक ऐसा सम्बन्ध हो चुका था जो मुसलिम लीग, कांग्रेस और जनसंघ से बड़ा था । इफ़्फ़न के दादा जीवित होते तो वह भी इस सम्बन्ध को बिलकुल उसी तरह न समझ पाते जैसे टोपी के घरवाले न समझ पाए थे । दोनों अलग-अलग अधूरे थे । एक ने दूसरे को पूरा कर दिया था । दोनों प्यासे थे । एक दूसरे की प्यास बुझा दी थी । दोनों अपने घरों में अजनबी और भरे घर में अकेले थे । दोनों ने एक-दूसरे का अकेलापन मिटा दिया था । एक बहत्तर बरस की थी और दूसरा आठ साल का ।
टोपी शुक्ला
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