Utkarsh Garg

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हर तरफ़ फैले हुए अँधेरे का बोझ उसकी आत्मा पर पड़ रहा था । फिर अँधेरे का एक टुकड़ा उसकी आँख में पड़ गया । आँख़ें मलता हुआ वह अपनी सीट की तरफ़ चल पड़ा
टोपी शुक्ला
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