"दादीजी, आप उस काले-कलूटे कृष्न को पूजती हैं ना, तो एक-न-एक दिन आपकी पूजा जरूर काली हो जाएगी ।" उस दिन दादीजी को दो बातों पर गुस्सा आया । पहली बात तो यह थी कि उनका पोता 'ज़रूर' को 'जरूर' बोल रहा था । (टोपी उन्हें चिढ़ाने के लिए उनके जीवन-भर यही करता रहा ।) और दूसरी बात यह कि उसने प्रभु का मज़ाक उड़ाया था । उन्होंने ताने की कमान चढ़ाकर रामदुलारी का कलेजा छलनी कर दिया । उस दिन रामदुलारी ने टोपी को जी भरके ठोंका । टोपी घर से भाग गया