Utkarsh Garg

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'आधा गाँव' में बेशुमार गालियाँ थीं । मौलाना 'टोपी शुक्ला' में एक भी गाली नहीं है ।–परन्तु शायद यह पूरा उपन्यास एक गन्दी गाली है । और मैं यह गाली डंके की चोट पर बक रहा हूँ । यह उपन्यास अश्लील है–जीवन की तरह
टोपी शुक्ला
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