Utkarsh Garg

8%
Flag icon
जिस रात उसने जन्म लिया वह बरसात की एक सड़ी हुई काली रात थी । हवा बिलकुल बन्द थी । आकाश बादल से ठसा पड़ा था । एक तारे तक की जगह नहीं थी । इधर उसकी माँ के पेट में दर्द शुरू हुआ और उधर बिजली चमकी । बादल में दरार पड़ गई । पानी की चादर गिरने लगी । ऐसा लगता था जैसे बादल ओलती में फँस गए हों । आँगन में पानी चमकने लगा । फ़्यूज़ उड़ गया । अँधेरा सम्पूर्ण हो गया ।
टोपी शुक्ला
Rate this book
Clear rating