Utkarsh Garg

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आप कथाकार से यह प्रश्न न करें कि सलीमा की बात उसने इतनी देर के बाद क्यों छेड़ी । सलीमा की बात छेड़ने का अवसर यही है । मैं कोई आपको टोपी और सलीमा की प्रेम-कहानी तो सुना नहीं रहा हूँ । परन्तु इस समय जहाँ हम हैं वहा सलीमा की बात निकाले बिना काम नहीं चल सकता । यदि ऐसा न होता तो मैं आपको सलीमा की बात ही न बताता । कथाकार का कर्तव्य यह नहीं है कि वह अपने हीरो के विषय में सब-कुछ ही बता डाले
टोपी शुक्ला
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