Utkarsh Garg

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इफ़्फ़न की दादी भी नमाज़-रोज़े की पाबन्द थीं, परन्तु जब इकलौते बेटे को चेचक निकली तो वह चारपाई के पास एक टाँट पर खड़ी हुईं और बोलीं : "माता मोरे बच्चे को माफ करद्यो ।"
टोपी शुक्ला
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