उसे मालूम था कि ऐसे ख़त केवल सस्ती कहानियों में लिखे जाते हैं । जीवन में इस प्रकार के ख़तों की कोई गुंजायश नहीं है । परन्तु यह ख़त लिखकर सीने का बोझ हलका हो गया । यह बात बरसों से उसके हलक़ में फँसी हुई थी । वह लेट गया और सलीमा के बारे में सोचने लगा ।