Utkarsh Garg

17%
Flag icon
बात कहानी और जीवनी दोनों ही के नियमों के विरुद्ध है कि पाठक को अँधेरे में रखा जाए । पाठक और गाहक में फ़र्क़ होता है । लेखक और दुकानदार में अन्तर होता है । दुकानदार को अपनी चीज़ बेचनी होती है, इसलिए वह जासूसी कथाकार की तरह कुछ छिपाता है और कुछ बताता है । परन्तु लेखक के पास बेचने के लिए कोई चीज़ नहीं होती । कहानी का ताना-बाना गफ़ हो तो पाठकों से झूठ बोलने की क्या ज़रूरत है
टोपी शुक्ला
Rate this book
Clear rating