ज़िंदगी की वह उम्र, जब इंसान को मुहब्बत की सबसे ज़्यादा ज़रूरत होती है, बचपन है। उस वक्त पौधे को तरी मिल जाये, तो ज़िंदगी भर के लिए उसकी जड़ें मजबूत हो जाती हैं। उस वक्त खुराक न पाकर उसकी जिंदगी खुश्क हो जाती है। मेरी माँ का उसी जमाने में देहान्त हुआ और तब से मेरी रूह को खुराक नहीं मिली। वही भूख मेरी जिंदगी है।

