Dharmendra Chouhan

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इस तरह अपने ही शरीर में फंसे होना मौत से भी बदतर नियति है। मौत के साथ कम से कम कोई अंत तो होता है। यहां तो यातना अंतहीन है। आप ख़ुद से नहीं भाग सकते। यह यातना वहशियाना है।