Dharmendra Chouhan

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मैं लोगों से मिलने-जुलने से बचने लगी। अपने रेज़ीडेंशियल कॉम्प्लेक्स में मैं किसी से मिलना नहीं चाहती थी। मैं किसी से बात करना नहीं चाहती थी, ना किसी को यह समझाना नहीं चाहती थी कि मैं अब कॉलेज क्यों नहीं जा रही थी। मैं हमेशा लोगों से मिलने और उनका सामना करने के भय में जीती थी। मैं नहीं चाहती थी कि कोई मुझे इस हालत में देखे।