वह जज़्बाती मूर्ख था। मेरे लिए यह ज़िंदगी का नायाब मौक़ा था। मैं उसे ऐसे ही कैसे गंवा सकती थी, किसी ऐसी चीज़ के लिए जिसे मैं मुहब्बत मान बैठी थी? कितनी बेवकूफ़ी की बात थी यह? मैं झुकने वाली नहीं थी। अभि को लगता था कि मैं पत्थरदिल हो रही हूं। मुझे लगता था कि मैं प्रेक्टीकल और समझदार हो रही हूं।

![ज़िंदगी वो जो आप बनाएं: प्यार, आशा और विश्वास की ऐसी कहानी जिसने नियति को हरा दिया [Zindagi Wo Jo Aap Banaayen]](https://i.gr-assets.com/images/S/compressed.photo.goodreads.com/books/1495563458l/35213197._SY475_.jpg)