कभी-कभी अंतिम पल में लिए गए फ़ैसलों में इतनी ताक़त होती है कि वे आगे होने वाली तमाम घटनाओं की श्रृंखला को प्रभावित कर सकते हैं। लेकिन उन फ़ैसलों को लेने के वक़्त उन पर बहुत विचार नहीं किया जाता है। उन्हें सामान्य ढंग से ले लिया जाता है और पीछे मुड़कर देखने पर उन पर बहुत ज़्यादा पछतावा और मलाल होता है