यह ऐसा था जैसे किसी ने मेरे दिमाग़ के किसी ऐसे अहम हिस्से को बंद कर दिया हो जो पढ़ने, समझने और सोचने तक को नियंत्रित करता था। मैं एक टूटे खिलौने जैसा महसूस कर रही थी। मुझे बहुत गहरी निराशा महसूस हो रही थी। उस परिस्थिति की निराशा जिसमें मैं थी इतनी ज़्यादा थी कि उसे बर्दाश्त करना नामुमकिन हो रहा था।

![ज़िंदगी वो जो आप बनाएं: प्यार, आशा और विश्वास की ऐसी कहानी जिसने नियति को हरा दिया [Zindagi Wo Jo Aap Banaayen]](https://i.gr-assets.com/images/S/compressed.photo.goodreads.com/books/1495563458l/35213197._SY475_.jpg)