Druid Ka Rahasya - Mahabharat Ke Raaz (The Secret of the Druids - Hindi) (Hindi Edition)
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कॉमेन्टारी डि बेलो गैलिको" गैलिक की लड़ाइयों का वर्णन है जो ख़ुद जूलियस सीज़र ने लिखा है
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सेमिरामीज़ एक पौराणिक चरित्र है, इसलिए कोई ये नहीं जानता कि वो कौन है और कहा से आई है । उसके इर्द-गिर्द रचे गए किस्से-कहानियों में भी विरोधाभास है । कहानियों से एक चीज़ साफ़ निकलकर आती है कि वो असीरियन साम्राज्य की महान शासिका थी और उसने मिस्र, इथियोपिया और एशिया के काफी बड़े हिस्से को जीत लिया था । यहां तक कि उसने उस इलाके में भी युद्ध छेडा था जो आज भारत में है, लेकिन वहां उसे सिंधु नदी के तट पर एक राजा के हाथों भयानक हार झेलनी पड़ी जिसे आज हम स्ट्रैब्रोबैट्‌स के नाम से जानते हैं और जो नाम उसे ग्रीक लोगों ने दिया था ।'
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'सेमिरामीज़ के बारे में हम जो भी जानते हैं, उसका ज़्यादातर श्रेय ग्रीक इतिहासकार डियोडोरस सिक्युलस को जाता है, जो जूलियस सीज़र का समकालीन था
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डियोडोरस के मुताबिक़, असीरिया के राजा निनस ने एक शहर बनाया जिसका नाम पड़ा निनेवह, जिससे तुम लोग बाइबिल की वजह से परिचित होगे
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बाइबिल में निनेवह को बनाने का श्रेय निमरद को जाता है, जो नोआह का वंशज था और बाबेल के टॉवर के मुख्य प्रवर्तक के रूप में मशहूर है । विद्वानों ने निनस या निमरद का शासनकाल 2180 ईसा पूर्व माना है और उनका अंदाज़ा है कि दोनों एक ही व्यक्ति हैं ।
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'निनेवह एक ऐतिहासिक शहर भी है, जिसका ज़िक्र 1800 ईसा पूर्व में शम्सी अदद के शासनकाल में मिलता है । शहर को लंबे समय तक इश्तर की पूजा से जोड़कर देखा जाता था
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इश्तर उर्वरता और प्रेम, युद्ध, बारिश और तूफान की एकेडियन देवी थी
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डियोडोरस के मुताबिक़, जब निनस बैक्ट्रिया के ख़िलाफ़ लड़ाई कर रहा था, उसने अपने सेनापति ऑनिस को बुलाया, क्योंकि बैक्ट्रिया के लोग मज़बूत साबित हो रहे थे । सेमिरामीज़ ऑनिस की पत्नी थी और उसने युद्ध में हार टालने के लिए एक योजना सुझाई । असीरियन लोगों ने उसकी रणनीति अपनाई और वो युद्ध जीत गए । निनस सेमिरामीज़ की बुद्धिमत्ता और ख़ूबसूरती से प्रभावित था और उससे विवाह करना चाहता था । आख़िरकार, उसने ऐसा कर लिया और सेमिरामीज़ असीरिया की रानी बन गई । कहा जाता है कि निनस की मौ...
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जब निन्यस गद्दी संभालने पहुंचा, सेमिरामीज़ ग़ायब हो गई
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एक देवी ने उसे जन्म देकर त्याग दिया था, जिसके बाद कबूतरों ने अस्कलान नाम की जगह उसे बड़ा किया । बाद में, उसे अस्कलान के ऐसटार्ट से जोड़ा जाने लगा । ऐसटार्ट चंद्र देवी थी, जो कि इश्तर का ही एक रूप है
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स्पैसर मानता था कि असीरियन राजा टुकुल्टी-निनुरटा निनस का ही संभावित प्रतिरूप
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दूसरे इतिहासकार मानते हैं कि सेमिरामीज़ वास्तव में सम्मु-रामत थी, असीरियन राजा अदद-निरारी तृतीय की मां, और शम्शी-अदद पंचम की पत्नी
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सम्मु-रामत की क़ब्र का पत्थर अशुर में पाया गया है और निमरद में एक अभिलेख भी है, जो दिखाता है कि उसने अपने पति की मौत के बाद और अपने बेटे के शासन के पहले राज ...
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इतिहासकारों ने उसका शासनकाल 810 से 805 ईसा ...
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मार्कस टुलियस सिसेरो एक रोमन राजनेता, वकील, विद्वान, वक़्ता और लेखक था । वो जूलियस सीज़र और, उसकी मौत के बाद ऑक्टेवियस--जो बाद में रोम का पहला सम्राट ऑगस्टस बना--का समकालीन था ।
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ड्रुइडों और भारत में वैदिक काल के लोगों के बीच विलक्षण समानताएं हैं
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ड्रुइडों के बारे में लिखने वाले शुराआती लोग हैं स्ट्राबो, डियोडोरस सिक्युलस, पोजिडोनियस और जूलियस सीज़र
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सीज़र की ज़्यादातर चीज़ें ग्रीक लेखक पोजिडोनियस के लेखन पर आधारित थीं, जो सीज़र और सिसेरो का समकालीन था।'
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एक ग्रीक लेखक डियोजिनस लैरटियस ने 200 ईसा पूर्व में ड्रुइड पर मौजूद स्रोतों का इस्तेमाल किया था जिसका मतलब है कि वो तब तक इतनी अच्छी तरह स्थापित हो गए थे कि केल्ट लोगों की दुनिया के बाहर भी उनकी प्रतिष्ठा फैल चुकी थी
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गोल्डफेल्ड ने बीच में ही कहा, 'और अगर हम मानते हैं कि सेमिरामीज़ का अस्तित्व था, तब इसका मतलब होगा कि ड्रुइड 2000 ईसा पूर्व में थे क्योंकि इसी समय के आसपास निनस या निमरद के होने की बात मानी जाती है
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कुछ जानकारी मानव बलि के बारे में है । दरअसल, वो बलि पर चढ़ने वाले शिकार की पीठ में छुरे से वार करते थे और उसकी फड़कती भुजाओं और खून के बहाव को देखकर भविष्य का अनुमान लगाते थे
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'रोम ड्रुइडों से नफरत करता था । जूलियस सीज़र ने रोम की नागरिकता लेने वाले हर किसी के लिए ये नियम बनाया था कि वो सार्वजनिक तौर पर ड्रुइड पंथ का त्याग करेगा । और ऑगस्टस सीज़र ने विधेयक पारित किया था कि कोई भी रोमन नागरिक ड्रुइड पंथ को नहीं अपनाएगा
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रोमन सेना वेल्स तक गई, जहां 60 ईस्वी में उन्होंने एंगलेसी में ड्रुइडों को हराया
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वो इसी से संतुष्ट नहीं हुए, उन्होंने उत्तरी स्कॉटलैंड में तब तक सभी जगहों पर ड्रुइडों का पीछा किया, जब तक 84 ईस्वी में उन्होंने ड्रुइड के अंतिम गढ़ को बर्बाद नहीं कर दिया ।'
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ड्रुइडों की मूलभूत धारणाओं से करते हैं । उनके अनुसार मानव आत्मा कभी नष्ट नहीं हो सकती और ना ही ब्रह्मांड,
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वो चार युगों में यक़ीन करते थे--ऐयुस्तु नेमेति, ऐयुस्तु यूरियोनस, ऐयुस्तु डैनुइयॉन, ऐयुस्तु मिलेटॉनियन
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मुझे एक ग्रीक लेखक, जो पांचवी शताब्दी का था--सिकंदरिया के क्लेमेंट--के बारे में पता चला, जिसका दावा था कि पाइथागोरस और ग्रीक लोगों ने अपने विचार और सिद्धांत गॉल और दूसरे बर्बरों से हासिल किए
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पाइथागोरस भी आत्माओं के देहांतरण में विश्वास करता था ।
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ड्रुइडों की मूल शिक्षाएं सात साधुओं, अर्स मेजर के तारे, से निकली हैं
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'वेदों में ईश्वर को "देव" कहा गया है । संस्कृत में इसका अर्थ है "कांतिमान" केल्ट लोग अपने ईश्वर को "डियुस" कहते हैं, जिसका भी अर्थ है "कांतिमान" ।
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अग्निकुंड ड्रुइड धर्म में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते दिखते हैं, उसी तरह जैसे वैदिक धर्म में
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आयरिश दंतकथा के मुताबिक़, टुआथा डि डैनन दुनिया के उत्तरी छोर से आए थे । वो ड्रुइड की विद्या और जादू में पारंगत थे और आयरलैंड में कई ताकत की वस्तुएं लाए ।'
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टुआथा डि डैनन प्रकाश के ईश्वर कहा जाता था
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'टुआथा डि डैनन का अर्थ है "देवी दनु के लोग"
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दनु दक्ष की बेटियों में एक थी और उसने चौवालीस बेटों को जन्म दिया, जिन्हें दानव कहा गया ।
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डॉन वेल्स की मैबिनोगियोन नामक प्राचीन कथाओं में एक महत्वपूर्ण महिला है । डॉन का विवाह बेली एप मैनोगन से हुआ है, जिसे अक्सर मौत के ईश्वर की तरह देखा जाता है
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केल्ट के विद्वानों का मानना है कि ड्रुइड प्रथा केल्ट लोगों पर महापाषाणी लोगों द्वारा थोपी गई
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टुआथा डि डैनन का आयरलैंड की बॉयन घाटी में महापाषाणी संरचनाओं से नज़दीकी संबंध है ।'
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यूसेबियस और फिलोस्ट्रैटस जैसे पुराने लेखकों ने साफ़ तौर पर कहा है कि पाइथागोरस ने बहुत सारा ज्ञान भारत के ब्राह्मणों या नागाओं से लिया था ।
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दाब विद्युत की खोज 1880 में जैक्स और पियरे क्यूरी ने क्वार्ट्ज़ क्रिस्टल पर अध्ययन के दौरान की थी
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शुमैन रेजोनेंस के बारे में संक्षेप में बताना चाहूंगा, जिसका संबंध पूरी दुनिया में फैले प्राकृतिक लयबद्ध तरंगों से है, जो पृथ्वी की सतह और आयनमंडल के बीच की खाली जगह में चलती
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ये विद्युत चुंबकीय तरंगें, जिनकी खोज 1952 में म्यूनिक की टेक्निकल यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर डब्ल्यू ओ शुमैन ने की थी, 7.83 हर्ट्ज़ फ्रिक्वेंसी की होती हैं, जो मानव मस्तिष्क की अल्फा तरंगों के समान है । ये फ्रिक्वेंसी इंसानों के कामकाज, दबाव, चिंता, रचनात्मकता, और प्रतिरक्षा तंत्र को नियंत्रित करती है ।
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इश्तर: ये बेबीलोन/एकेड निवासियों के लिए स्वास्थ्य, उर्वरता और युद्ध की देवी थी । अक्सर इसे एक शेरनी पर सवार, और हाथ में धनुष, तरकश और तलवार के साथ दर्शाया जाता था
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टुआथा डि डैनन: ये एक ऐसी प्रजाति थी जिसे पौराणिक दर्जा मिल गया जब बाद की पीढ़ियां इनकी देवताओं के समान पूजा करने लगीं । उनके नाम का मतलब था "देवी दनु के लोग" । माना जाता है कि ये लोग दुनिया के उत्तरी हिस्से से आयरलैंड आए थे । कुछ लोगों का मानना है कि इनका संबंध मध्य पूर्व से भी था । उनका नाम देवी दना या दनु के साथ लिया जाता है