More on this book
Community
Kindle Notes & Highlights
यही है ज़िन्दगी, कुछ ख़्वाब, चन्द उम्मीदें इन्हीं खिलौनों से तुम भी बहल सको तो चलो
मैं अपनी ही उलझी हुई राहों का तमाशा जाते हैं जिधर सब मैं उधर क्यों नहीं जाता
दुश्मनी लाख सही ख़त्म न कीजे रिश्ता दिल मिले या न मिले हाथ मिलाते रहिए
इक मुसाफ़िर के सफ़र जैसी है सबकी दुनिया कोई जल्दी में कोई देर में जाने वाला
उनकी नाकामियों को भी गिनिये जिनकी शोहरत है कामयाबों में
हँसते-हँसते कभी थक जाओ तो छुप के रो लो ये हँसी भीग के कुछ और चमक जाएगी
बच्चों के छोटे हाथों को चाँद-सितारे छूने दो, चार किताबें पढ़ कर ये भी हम जैसे हो जाएँगे
कहा गया है सितारों को छूना मुश्किल है ये कितना सच है कभी तजुर्बा किया जाये
दरिया हो या पहाड़ हो टकराना चाहिए जब तक न साँस टूटे जिये जाना चाहिए
उसका कुसूर ये था बहुत सोचता था वो वो कामयाब होके भी नाकाम रह गया
धूप तो धूप है फिर उसकी शिकायत कैसी अबकी बरसात में कुछ पेड़ उगाना साहब