Duniya Jise Kahte Hain (Hindi Edition)
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Kindle Notes & Highlights
Read between July 4 - August 1, 2022
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कभी किसी को मुकम्मल1 जहाँ नहीं मिलता कहीं ज़मीं तो कहीं आस्माँ नहीं मिलता
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हर तरफ़ हर जगह बेशुमार आदमी फिर भी तन्हाइयों का शिकार आदमी
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दुनिया जिसे कहते हैं जादू का खिलौना है मिल जाये तो मिट्टी है, खो जाये तो सोना है
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मैं उसकी परछाई हूँ या वो मेरा आईना है मेरे ही घर में रहता है मेरे जैसा जाने कौन
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हुकूमतों को बदलना तो कुछ मुहाल3 नहीं हुकूमतें जो बदलता है वो समाज भी हो
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बे नाम सा ये दर्द ठहर क्यों नहीं जाता जो बीत गया है वो गुज़र क्यों नहीं जाता
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बदला न अपने आपको जो थे वही रहे मिलते रहे सभी से मगर अजनबी रहे
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तुमसे छुट कर भी तुम्हें भूलना आसान न था तुमको ही याद किया तुमको भुलाने के लिए
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कुछ भी बचा न कहने को हर बात हो गयी आओ कहीं शराब पिएँ रात हो गयी
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आसमाँ, खेत, समन्दर सब लाल ख़ून काग़ज़ पे उगा था पहले
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नयी-नयी आँखें हों तो हर मंज़र अच्छा लगता है कुछ दिन शह्र में घूमे लेकिन, अब घर अच्छा लगता है
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तेरा सच है तेरे अज़ाबों1 में झूठ लिक्खा है सब किताबों में एक से मिल के सब से मिल लीजिए आज हर शख़्स है नक़ाबों में
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मेरे तेरे चूल्हों में तो इतनी आग नहीं थी जिससे सारा शह्र जला है कोई परचम1 होगा
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शह्र तो बाद में वीरान हुवा मेरा घर ख़ाक हुआ था पहले