Duniya Jise Kahte Hain (Hindi Edition)
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चश्म हो तो आईनाख़ाना है दिल मुँह नज़र आते हैं दीवारों के बीच
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ग़म हो कि ख़ुशी दोनों कुछ दूर के साथी हैं फिर रस्ता ही रस्ता है, हँसना है न रोना है
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और तो सब कुछ ठीक है लेकिन कभी-कभी यूँ ही चलता-फिरता शह्र अचानक तन्हा लगता है
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गुज़र जाती है यूँ ही उम्र सारी किसी को ढूँढ़ते हैं हम किसी में
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हर घड़ी ख़ुद से उलझना है, मुक़द्दर मेरा मैं ही कश्ती हूँ मुझी में है समन्दर मेरा
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मैं उसकी परछाई हूँ या वो मेरा आईना है मेरे ही घर में रहता है मेरे जैसा जाने कौन
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सातों दिन भगवान के, क्या मंगल क्या पीर जिस दिन सोये देर तक, भूखा रहे फ़क़ीर
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मुझे जैसा इक आदमी मेरा ही हमनाम उल्टा-सीधा वो चले, मुझे करे बदनाम
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ईसा अल्लाह ईश्वर सारे मन्तर सीख जाने कब किस नाम पर मिले ज़्यादा भीख
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वो सूफ़ी का क़ौल हो, या पण्डित का ज्ञान जितनी बीते आप पर, उतना ही सच मान