Duniya Jise Kahte Hain (Hindi Edition)
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Read between August 19 - November 3, 2019
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चाँद में कैसे हुई क़ैद किसी घर की ख़ुशी ये कहानी किसी मस्जिद की अज़ाँ से सुनिए
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दुश्मनी लाख सही ख़त्म न कीजे रिश्ता दिल मिले या न मिले हाथ मिलाते रहिए
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सूरज को चोचं में लिये मुर्ग़ा खड़ा रहा खिड़की के पर्दे खींच दिये रात हो गयी
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फ़ासला चाँद बना देता है हर पत्थर को दूर की रोशनी नज़दीक तो आने से रही
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चमकते चाँद सितारों का क्या भरोसा है ज़मीं की धूल भी अपनी उड़ान में रखना
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नयी-नयी आँखें हों तो हर मंज़र अच्छा लगता है कुछ दिन शह्र में घूमे लेकिन, अब घर अच्छा लगता है
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अबके ख़फ़ा हुआ है तो इतना ख़फ़ा भी हो तू भी हो और तुझमें कोई दूसरा भी हो
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मुझसे मुझे निकाल के पत्थर बना दिया जब मैं नहीं रहा हूँ तो पूजा गया हूँ मैं
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हर सुब्ह फेकं जाती है बिस्तर पे कोई जिस्म ये कौन मर रहा है किसे ढो रहे हैं हम
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कली बना के खिला और फूल-सा महका महक उठूँ तो हवा पत्ती-पत्ती तोड़ मुझे
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न जाने कितने बदन वो पहन के लेटा है बहुत क़रीब है फिर भी छुपा-छुपा-सा है
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हँसते-हँसते कभी थक जाओ तो छुप के रो लो ये हँसी भीग के कुछ और चमक जाएगी
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कहीं छत थी, दीवारो-दर थे कहीं मिला मुझको घर का पता देर से दिया तो बहुत ज़िन्दगी ने मुझे मगर जो दिया वो दिया देर से
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हँसने लगे हैं दर्द, चमकने लगे हैं ग़म बाज़ार बन के निकले तो बिकने लगे हैं हम
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नींदों के पास भी नहीं अब कोई रागिनी सोते हैं थक के जिस्म मगर जागते हैं ग़म
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अभी तक हौसला हारे नहीं शादी ज़मीं वाले अभी तक ख़ुदकुशी करने की हिम्मत है किसानों में
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अपनी तलाश, अपनी नज़र, अपना तजुर्बा रस्ता हो चाहे साफ़ भटक जाना चाहिए
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हमको भी याद थीं कई रंगीं कहानियाँ पत्थर बना दिए गए ख़ामोश हो गये
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बना-बना के बादल, सूरज उड़ा रहा है पानी को सागर तक जाने का रस्ता बहता दरिया भूल गया
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जो भी चाहे वो बना ले उसे अपने जैसा किसी आईने का होता नहीं चेहरा अपना
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ज़मीन पैरों तले सर पे आसमाँ क्यों है जहाँ-जहाँ जो रखा है वहाँ-वहाँ क्यों है
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आते नहीं उतर के सितारे ज़मीन पर जितनी चमक-दमक है वो ऊँचाइयों में है
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चाँद-सूरज भी लिखा करते हैं लहरों का हिसाब एक रफ़्तार से बहता नहीं दरिया सबका
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हर आदमी में होते हैं दस-बीस आदमी जिसको भी देखना हो कई बार देखना
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मुहब्बत नज़र बाँध देती है वर्ना हसीं थे बहुत दिल लगाने के क़ाबिल
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बहुत मुश्किल ल है बंजारा मिज़ाजी सलीक़ा चाहिए आवारगी में