रमाकांत आचरेकर सचिन तेंदुलकर से बेहतर क्रिकेटर नहीं थे, फिर भी उन्हीं की कोचिंग थी, जिसने सचिन को इस मुक़ाम तक पहुँचाया। ओ. एम. नांबियार कभी पी. टी. ऊषा की बराबरी नहीं कर सकते, लेकिन उन्होंने ही भारत को एक महान धाविका दी। यह द्रोणाचार्य का ही प्रताप था, जिसने अर्जुन को निपुणता की इतनी ऊँचाई तक पहुँचा दिया कि युद्ध में वह अपने ही गुरु का सामना कर सका।