जब आप अपने विचारों को तत्काल व्यक्त नहीं करते हैं, अपनी भावनाओं को तत्काल प्रकट नहीं करते हैं, तो आप उन्हें विकृत करने लगते हैं। अपनी दबी हुई भावनाओं को शांत व पोषित करने के लिए आप सत्य की अतिशयोक्ति करने लगते हैं या फिर उस पर कैंची चलाने की ओर प्रवृत्त हो जाते हैं।