शिष्य ने पूछा, “गुरुजी, ज्ञान-प्राप्ति से पहले भी आप केवल कुँए से जल खींचते थे और लकड़ियाँ काटते थे, और ज्ञान-प्राप्ति के बाद भी आप वही कर रहे हैं। आपके कार्य में तो मुझे कोई अंतर दिखाई नहीं दे रहा है।” गुरु का उत्तर था, “हाँ, मेरे कार्य में कोई अंतर नहीं है, लेकिन जिस गुणवत्ता से मैं यह कार्य कर रहा हूँ, उसमें परिवर्तन आ गया है।”