है। जो भी काम किया गया, वह प्रेम और प्रसन्नता के साथ किया गया या उदासीनता, भावशून्यता, अनिच्छा व अरुचि के साथ किया गया? कोई भी काम हो, उसे करने में हृदय का, भावना का पुट होना ही वह अदृश्य चीज़ है। जो काम किया गया, उसमें हृदय का, भावना का पुट क्या 101 प्रतिशत रहा है - यही है निर्णायक प्रश्न।

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