ऐसा लगता है कि ‘प्रेम पाने’ के बजाय ‘लाड़ पाने’ की ललक हममें अधिक रहती है। दोनों में अंतर क्या है? अधिकांश लोगों के लिए प्रेम पाने का अर्थ है कि प्रेम करने वाला उनके प्रति हमेशा सौम्य बना रहे, उन्हें कभी ‘ना’ न कहे, उनकी आलोचना या शिकायत न करे, ऐसा कुछ न करे, जिससे उन्हें कोई असहजता या परेशानी हो… दरअसल, वह उन्हें वैसा ही रहने दे जैसे कि वे हैं, उन्हें बदलने की इच्छा या भावना न दिखाए। वह मुझे उसी तरह प्रेम करे, जैसे मैं चाहता हूँ - यह लाड़ है। लाड़ करना प्रेम नहीं है। प्रेम यानी वह भावना जिससे फ़र्क़ पड़ता है। लाड़ आपको कमज़ोर बनाता है, प्रेम आपका सृजन करता है। कोई भी व्यक्ति संपूर्ण नहीं है। सुधार
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