Nitish Kumar Singh

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हमारा यह संसार भी बस कुत्ते की टेढ़ी पूँछ के ही समान है; सैकड़ों वर्ष से लोग इसे सीधा करने का प्रयत्न कर रहे हैं, परंतु ज्यों ही वे इसे छोड़ देते हैं, त्यों ही यह फिर से टेढ़ा का टेढ़ा हो जाता है।
Karmayog (Hindi)
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