Nitish Kumar Singh

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जगत् से उनका तात्पर्य है स्वार्थपरता। निस्स्वार्थता ही ईश्वर है। एक मनुष्य चाहे रत्नखचित सिंहासन पर आसीन हो, सोने के महल में रहता हो, परंतु यदि वह पूर्ण रूप से निस्स्वार्थ है तो वह ब्रह्म में ही स्थित है।
Karmayog (Hindi)
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