SHASHANK KUMAR

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“जब मैंने ढक्कन को खोल दिया, तो भी पिस्सू उछल रहे हैं, लेकिन उछलकर जार के बाहर नहीं आ रहे हैं। वो बाहर इसलिए नहीं आ रहे कि उन्होंने ख़ुद को सिर्फ़ इतना ही ऊंचा उछलने का आदी बना लिया है। उन्होंने ख़ुद को सीमाओं में बांध लिया है।”
The Sialkot Saga
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