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यह संगीत रचना सबके सुनने के लिए मुफ़्त एमपी3 डाउनलोड में उपलब्ध है। आप इसे www.chanakyaschant.com से डाउनलोड कर सकते हैं।
“तीन व्यक्ति तभी एक रहस्य को रहस्य रख सकते हैं बशर्ते उनमें से दो मर जाएं,”
“जो व्यक्ति अपना मुंह बहुत ज़्यादा खोलता है, उसका अंत बहुत दुखद हो सकता है, अपच द्वारा या प्राणदंड द्वारा!”
“क्या सिद्धांत धन से बड़े होते हैं?” “एक प्रमुख सूत्र याद रखना, वत्स। जब कोई कहे, ‘बात धन की नहीं, सिद्धांत की है,’ तो समझ लो कि बात धन की है।”
“आचार्य, किसी विषय पर चर्चा में राजा की परिषद को आदर्श रूप से कितना समय लगाना चाहिए?” “यदि आप नहीं चाहते कि परिषद किसी विषय पर अधिक समय लगाए, तो उसे कार्यसूची में भोजन से पहले अंतिम विषय बना देना चाहिए।”
“मनुष्य को किस चीज़ के लिए प्रयास करना चाहिए? काम, धर्म, अर्थ और मोक्ष। लेकिन वास्तविकता ये है कि अगर आप ग़रीब हों, तो न तो आपकी पत्नी आपको प्यार करेगी और न संतानें, अगर नागरिक वित्तीय प्रोत्साहन या दंड से प्रेरित न हों तो वो अपने कर्तव्य पूरा नहीं करेंगे, और कौन मनुष्य मोक्ष की खोज में अपना सांसारिक जीवन त्यागेगा अगर उसके परिवार के पास सहारे के लिए धन न हो? मैं एक शिक्षक हूं—लेकिन अर्थशास्त्र का शिक्षक। मनुष्य की आजीविका का स्रोत है धन, और इसे प्राप्त करने और बनाए रखने का विज्ञान है राजनीति!”
“हे राक्षस, हर वस्तु अंत में ठीक ही होती है। अगर सही न हो, तो अंत ही नहीं होता है,” चाणक्य
“कोई कुंआरा नहीं होता, निपुणक। जीवन सबको खोल डालता है,” चाणक्य ने चंचलतापूर्वक कहा।
बुद्धिमान लोग वो सब कुछ सोचते हैं जो वो कहते हैं, मूर्ख लोग वो सब कुछ कह देते हैं जो वो सोचते हैं।