Nirmala (Hindi)
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लेकिन दुःखी हृदय दुःखती हुई आँख है, जिसमें हवा से भी पीड़ा होती है।
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साँस का भरोसा ही क्या और इसी नश्वरता पर हम अभिलाषाओं के कितने विशाल भवन बनाते हैं! नहीं जानते, नीचे जानेवाली साँस ऊपर आएगी या नहीं, पर सोचते इतनी दूर की हैं, मानो हम अमर हैं।
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मन! तेरी गति कितनी विचित्र है, कितनी रहस्य से भरी हुई, कितनी दुर्भेद्य। तू कितनी जल्द रंग बदलता है? इस कला में तू निपुण है। आतिशबाजी की चर्खी को भी रंग बदलते कुछ देरी लगती है, पर तुझे रंग बदलने में उसका लक्षांश समय भी नहीं लगता।
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मानव जीवन! तू इतना क्षणभंगुर है, पर तेरी कल्पनाएँ कितनी दीर्घालु!