Mukesh

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उसकी प्रकृति के प्रतिकूल कार्य करने के लिए बाध्य किया जाये तो उसमें या तो विरोध जागता है या द्वन्द्ध। विरोध में वह तुम्हारे काम का नहीं रहेगा और द्वन्द्ध में तो वह अपने काम का भी नहीं रहेगा।”
अभिज्ञान
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