ब्रज का सारा दूध मथुरा पहुंच जाता था। गोपालों के अपने बच्चों के लिए भी दूध-घी उपलब्ध नहीं था। कृष्ण ने दूध के इस विवेक-शून्य निर्यात का विरोध किया था। गोप तो फिर मान गये थे—भीरु गोपियां, कस के क्रोध से बचने के लिए छिप-छिपकर दूध ले जाया करती थीं; या उन्हें धन का मोह अधिक था। उन्हें रोकने के लिए कृष्ण को अपने मित्रों की सहायता से मटकियां तोड़नी पड़ीं। इस सामाजिक, राजनीतिक संघर्ष को भक्तों ने कृष्ण का विलास बना दिया।