कृष्ण कह रहा था कि अधिक स्वतन्त्रता, समृद्धि और शक्ति पाकर यादवों में आलस्य और विलास बढ़ा है, तृष्णा बढ़ी है, वैर और द्वेष बढ़ा है। परिणामतः उनका तेज कम हुआ है–न्याय-अन्याय का विचार, धर्म-अधर्म का चिन्तन कम हुआ है…और इन्हीं कारणों से वे अन्तत: नष्ट हो जायेंगे…और इसके विपरीत कंस के दमन और अत्याचार, जरासन्ध के अधर्म और पाप को सह-सहकर यादव जातियों में एकता बढ़ी, उनकी शक्ति बढ़ी, उनमें ओज और तेज आया और उन लोगों को कृष्ण जैसा नेता मिला…विचित्र गति है यह तो और विचित्र चिन्तन।