की मदद से यह हमला पूरी रात और अगले दिन दो बजे तक चला। दोपहर तक लगभग एक हज़ार सिपाही मारे गए थे। लेकिन ब्रिटिश जख़्मी और मुर्दा सिपाही सिर्फ़ 46 ही थे। हेनरी डेली का कहना था कि ‘यह सबसे ज़्यादा कामयाब और वैज्ञानिक मार थी, जो हमने पांडी को खिलाई थी। उसका नुक़सान बहुत ज़्यादा हुआ, उसका गाड़ियों भर जंगी सामान तबाह हुआ और उसने हमारी शक्ल तक नहीं देखी। यह सबक है, जो हमें अपने सुरक्षा दस्तों को पढ़ाना चाहिए’।12