फिर ज़फ़र ने आदेश दिया कि शहर की तमाम गायों का पंजीकरण किया जाए और हर मुहल्ले का चौकीदार और जमादार मुकामी पुलिस स्टेशन में सब गाय रखने वाले मुसलमान घरानों का नाम लिखवाये और फिर पुलिस थाना उन तमाम गायों की, जो मुसलमान घरों में पल रही थीं, एक सूची बनाकर क़िले में छह घंटे के अंदर-अंदर भेजे105 और 30 जुलाई को कोतवाल सईद मुबारक शाह को आदेश दिया गया कि वह शहर में ऊंची आवाज़ में ऐलान करा दें कि गायों को मारने पर पूर्ण पाबंदी है क्योंकि इससे बेकार आपस में खिंचाव पैदा होगा, जिससे दुश्मनों को फायदा पहुंचेगा। अगर कोई ऐसा सोचेगा भी या इस आदेश की ख़िलाफ़वर्जी करेगा, उसको सख़्त सजा दी जाएगी।106