Rajesh Kamboj

69%
Flag icon
मैंने सुना है कि लोगों में यह भ्रम फैला हुआ है कि आत्मज्ञान चौथे आश्रम में प्राप्त होता है। लेकिन जो लोग इस अमूल्य वस्तु को चौथे आश्रम तक मुल्तवी रखते हैं, वे आत्मज्ञान प्राप्त नहीं करते, बल्कि बुढ़ापा और दूसरा, परन्तु दयायोग्य, बचपन पाकर पृथ्वी पर भाररूप बनकर जीते हैं।
Satya ke Saath Mere Prayog: Ek Atmakathaa (Hindi)
Rate this book
Clear rating