Rajesh Kamboj

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विषया विनिर्वते निराहारस्य देहिन:। रसवर्जं रसोडप्पस्य परं दृष्ट्वा निवर्तते।। (उपवासी के विषय उपवास के दिनों में शान्त होते हैं, पर उसका रस नहीं जाता। रस तो ईश्वर-दर्शन से ही, ईश्वर प्रसाद से ही शान्त होता है।)
Satya ke Saath Mere Prayog: Ek Atmakathaa (Hindi)
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