Rajesh Kamboj

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जब तक विचारों का इतना अंकुश प्राप्त नहीं होता कि इच्छा के बिना एक भी विचार मन में न आए, तब तक ब्रह्मचर्य सम्पूर्ण नहीं कहा जा सकता। विचार-मात्र विकार है, मन को वश में करना; और मन को वश में करना वायु को वश में करने से भी कठिन है।
Satya ke Saath Mere Prayog: Ek Atmakathaa (Hindi)
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