ब्रह्मचर्य का पालन करने की इच्छा रखने वालों को यहाँ एक चेतावनी देने की आवश्यकता है। हालांकि मैंने ब्रह्मचर्य के साथ आहार और उपवास का निकट सम्बन्ध सूचित किया है, तो भी यह निश्चित है कि उसका मुख्य आधार मन पर है। मैला मन उपवास से शुद्ध नहीं होता। आहार का उस पर प्रभाव नहीं पड़ता। मन का मैल तो विचार से, ईश्वर के ध्यान से और अंत में ईश्वर की कृपा से ही छूटता है। किन्तु मन का शरीर के साथ निकट सम्बन्ध है और विकारयुक्त मन विकारयुक्त आहार की खोज में रहता है। विकारी मन अनेक प्रकार के स्वादों और भोगों की तलाश में रहता है और बाद में उन आहारों तथा भोगों का प्रभाव मन पर पड़ता है। इसलिए उस हद तक आहार पर अंकुश
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