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हर कोई महान नहीं बन सकता, लेकिन हर कोई इस समय जहाँ भी है, उससे बेहतर ज़रूर बन सकता है।
आप किसी कार्य को जितना ज़्यादा करते हैं, आप उसे करने के लिए उतने ही ज़्यादा प्रेरित होते हैं। इसलिए अगर आप ज़्यादा कार्य करेंगे, तो आपको ज़्यादा प्रेरणा मिलेगी। यह ख़ुद को पोषण देने वाला सतत चक्र है!
“यदि आप प्रेरणा-कार्य के आपसी संबंध को समझ लेते हैं, तो यह ज़्यादा कार्य करने की आपकी प्रेरणा बढ़ाने में बहुत कारगर होता है - लेकिन यदि आप इसका इस्तेमाल ऐसे कार्यों के लिए प्रेरित होने में करते हैं, जो आपके सकल लक्ष्य में योगदान नहीं देते, तो आप बस अपना समय बर्बाद करेंगे।”
पहली है प्रभावकारिता, यानी सही कार्य करना। दूसरी है कार्यकुशलता, यानी कार्य को सही तरीक़े से करना।”
उस कार्य को अच्छी तरह करने में कोई तुक नहीं है, जो आपको बिलकुल भी नहीं करना चाहिए।
1.प्रेरणा बढ़ाने का सबसे अच्छा तरीक़ा कार्य को बढ़ाना है। 2.मैं किसी कार्य को जितना ज़्यादा करूँगा, उसे करने के लिए उतना ही ज़्यादा प्रेरित होऊँगा। 3.शुरू करने का तरीक़ा कार्य करना है - भले ही यह कोई छोटा कार्य ही क्यों न हो। 4.मेरे लक्ष्य स्पष्ट होने चाहिए। 5.मुझे एेसे कार्य चुनना चाहिए, जो मेरे लक्ष्य ( प्रभावकरिता )हासिल करने में मेरी मदद करें और फिर मुझे उनमें निपुण बनना चाहिए ( कार्यकुशलता)।
हममें से हर व्यक्ति में दरअसल संसार को हिलाने की शक्ति है, एक बार में एक है प्रतिशत!
अभ्यास ऐसी असाधारण योग्यता विकसित करने में आपकी मदद कर सकता है, तो उन सारी दूसरी योग्यताओं के बारे में सोचें, जो आप अभ्यास से विकसित कर सकते हैं।”
यदि आप अपना फोकस इस तरह बदल रहे हैं, ताकि आप हर दिन का कार्य करते समय भी अभ्यास कर रहे हैं, तो आपके वही कार्य आपकी योग्यताओं को बेहतर बनाने का तरीक़ा बन जाते हैं।
मैं सारे समय अपनी तुलना दूसरे लोगों से किया करता था। लेकिन अंत में मुझे अहसास हुआ कि यह बहुत उपयोगी नहीं था, क्योंकि हमेशा कोई न कोई मुझसे बेहतर होता था।”
अपनी तुलना ख़ुद से करना ज़्यादा उपयोगी होता है। सबसे ज़्यादा मायने यही रखता है कि आप अपने वर्तमान स्वरूप से 1 प्रतिशत बेहतर बन जाएँ।
वर्तमान में अपना सर्वश्रेष्ठ करना ही नियम है।”
आप सिर्फ़ इच्छा नहीं कर सकते - आपको कार्य करना होता है।”
“तुममें नैतिक और शारीरिक साहस होना चाहिए। ऐसे दिन हो सकते हैं, जब तुम बुरी तरह थके हो, लेकिन तुम्हारी थकान कभी दिखनी नहीं चाहिए। ऐसे समय होते हैं, जब तुम्हें डर लगेगा, लेकिन तुम्हारा डर कभी नज़र नहीं आना चाहिए। तुम्हें हमेशा लीडर होना पड़ता है।”
आपको तो यह यात्रा वहीं से शुरू करनी पड़ती है, जहाँ आप इस वक़्त हैं। वर्तमान में अपना सर्वश्रेष्ठ करना ही नियम है।
सबसे मुश्किल चीज़ मैंने आज तक यह की है कि मैंने किसी से मदद माँगी।
“कार्य करने के उस तरीक़े को 30 दिनों तक हर दिन अपनाएँ। 30 दिनों के अंत में यह एक आदत बन जाएगा, जो स्वचालित होगी।”
किसी नई चीज़ का आदी होने और नए संयोजन बनाने में आपके मस्तिष्क को न्यूनतम 21 दिन का समय लगता है।
जीवन का नब्बे प्रतिशत हिस्सा तो बस कमर कसना है। ’ आप बस अपना एक पैर दूसरे के सामने रखते हैं और बहुत जल्दी ही आप वहाँ पहुँच जाते हैं, जहाँ आप पहुँचना चाहते थे।
“जीवन का नब्बे प्रतिशत हिस्सा तो बस कमर कसना है।” – वुडी एलन
शरीर मस्तिष्क को बदल सकता है, और मस्तिष्क शरीर को बदल सकता है।
फिसलने को गिरने में न बदलने दें।