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“तो फिर अंग्रेजों और मुसलमानों में इतना अंतर क्यों?” “देखो, एक अंग्रेज मरने पर भी भागता नहीं-मुसलमान की देह से पसीना छूटते ही वह भागता है-शरबत खोजता फिरता है। फिर अंग्रेजों में जिद है, जो संकल्प करते हैं, उसे पूरा करते हैं, जबकि मुसलमान आराम-तलब हैं, रुपयों के पीछे जान देते हैं, इस पर भी उन्हें तनख्वाह नहीं देते। इसके अलावा आखिरी बात यह कि अंग्रेजों में साहस है। कमान का गोला एक ही जगह गिरेगा, दस जगह नहीं। सो एक गोला देखकर दो सौ अंग्रेज लोगों को भागने की जरूरत नहीं। मगर एक गोला देखते ही मुसलमान दल-के-दल भागते हैं—जबकि दल-के-दल गोलों को देखकर एक भी अंग्रेज नहीं भागता।”
पाप का फल कभी भी पवित्र नहीं होता।