Rohit Kumar

36%
Flag icon
मैली-कुचैली और फटी-पुरानी धोती पहने उसने कमरे में प्रवेश किया, तो ऐसा लगा जैसे कमरे में आलोक ने प्रवेश किया हो। लगा, जैसे किसी पेड़ के पत्ते के पीछे ढेरों फूल छिपे थे, जो हठात फूट पड़े हों।
आनन्द मठ
Rate this book
Clear rating