आनन्द मठ
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देखो, सांप धरती पर छाती के बल चलता है, उससे ज्यादा नीच जीव मैंने तो और कोई नहीं देखा, सांप के शरीर पर पांव लग जाए तो वह भी फन उठा लेता है। क्या तुम्हारा धैर्य किसी बात से भी खत्म नहीं होता।
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मैली-कुचैली और फटी-पुरानी धोती पहने उसने कमरे में प्रवेश किया, तो ऐसा लगा जैसे कमरे में आलोक ने प्रवेश किया हो। लगा, जैसे किसी पेड़ के पत्ते के पीछे ढेरों फूल छिपे थे, जो हठात फूट पड़े हों।